Duniya ki sachai

दुनिया  की  सच्चाई
बहुत  समझाया  मैने  इस  दिल  को 
पर  ये फरेब  कर  ना  सका
लोग  हमेशा इसे   छलते  रहे
पर  ये   भलाई  से टल  ना  सका
लोग  झूठ  बोलकर    मुकरते  रहे
और  ये था  कि  सच      कहता  रहा

खुद की  जरुरत के वक़्त  जी  जी  करते  लोग
बाद  में   रंग  बदलते  लोग
जब  बारी  हमारी  आती  तो  फ़ोन  भी  ना  पिक  करते   लोग
यकीन  है मुझे  कुछ  आपसे  भी  टकराए  होंगे
जिन्होंने  अपने  काम  पर  भी  मिस  काल  बजाए  होंगे (मिस  काल -अंग्रेजी  शब्द )
समझ  नहीं  आता  क्यों   नहीं  शरमाए  होंगे 

कैसे  अब  समझाऊ   इन्हे
चुप  रहना  मेरी  आदत  नहीं
बल्कि  समय  की  ज़रूरत  है
 क्यूंकि  ये  खुबिया  किसी  एक  की  नहीं
बल्कि  बदलते  इंसान  की  फितरत  है
इन्ही  लोगो  को  शिकायत  मुझसे  कि 
क्यूंकि  झूठ  को  सच  साबित  करने  की  मक्कारी  नहीं आती
झूठी  हँसी  हँसने  की  कलाकारी  नहीं  आती
 इसीलिए  मुझे  दुनियादारी  नहीं  आती

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