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Showing posts from April, 2019

shama (क्षमा )

क्षमा करके  क्षमा  अपने  दुश्मनों को ले  तू  अपना  दोस्त  बना बहुत  बोझ  है  इस  दिल  पर थोड़ा  सा  तो   हटा ये  दुश्मन भी , अपने  ही  तो  हैं कुछ खट्टे  कड़वे  पल  ही  तो  है इन  कड़वे  पलों  को  भूलकर प्यार  की  नई  तस्वीर  बना ठान  मत , ना  भूलने  की मत आदत बना ,मुँह  के  फूलने  की ज़रा  हाथ  को  आगे  बढ़ा और  थोड़ा  सा  मुस्कुरा चोट  जिसने  दी  तुझे   वो कब का  आगे  बढ़   गया और  तू  था  कि  वही  पर  खड़  गया उसका  कुछ  ना  उखड़ा  पर तेरा   मन  सड़  गया सोच  किसको  दी  तूने  सज़ा और  किस  पे  सितम  पड़  गया जो  एक क्षमा  को  दिल  पे  अपने  जड़  गया समझलो  आत्मिक   सीढ़ी  चढ़  गया मिटी  का  पुतला  है तु इस  जग  में  घूमने  आया  है जब  जीवन नहीं सदा के लिए फिर  इन  गलतियों  को क्यों  बसाया  सदा के लिए

TU DAAL DAAL MAI PAAT PAAT

 तू  डाल  डाल  मैं  पात  पात एक  इंजीनियर  नौकरी  के  लिए   रहा  था  भटक भटकते  भटकते  एक  बोर्ड  उसे  दिया  दिखाई उसको  लगा,लो  हो  गई  कमाई बोर्ड पे  लिखा  था , तीन सौ  रूपए  में आराम पाओ नहीं तो  एक  हज़ार   रूपए  घर  ले  जाओ इंजीनियर  को  बात  आई  रास जा  पहुंचा  डॉक्टर  के  पास बोला  डॉक्टर  जी  ,नहीं  आ   रहा  मुझे  कोई  सवाद डॉक्टर  ने  नर्स  बुलाई , बाईस   नंबर  दवाई  पिलवाई इंजीनियर  बोला "मुझे  आपने पेट्रोल  पिलाया" डॉक्टर  बोला "मुबारक हो! स्वाद तुम्हे  आया  " मेरे  तीन सौ  रूपए  निकालो  भाया इंजीनियर  को गुस्सा  आया ,कुछ बिना कमाए  घाटा  खाया दो  दिन  बाद दोबारा  आया , बोला  यादाशत  हुई  कमज़ोर डॉक्टर  ने नर्स बुलाई  इस  ओर और  कहा  बाईस  नंबर  दवा  निकालो चार  बूंद इनके  मुँह में  डालो इंजीनियर  बोला बाईस  नंबर  तो  जुबान के  स्वाद  के लिए  थी  खाई डॉक्टर  बोला  बहुत  बहुत बधाई,तुम्हारी  यादाशत  लौट  आई लाओ  मेरे  तीन सौ  रूपए  भाई इंजीनियर  भी कहाँ   था  हार  मान रहा   था नई  कहानी  बना  कर  बार बार  आ  रहा  था तीसरी  बार  फिर 

SHRARTI DOST (HASYA KAVITA)

शरारती  दोस्त ( हास्य  कविता )  बात  सुनाऊ  तुम्हे  टिंकू  की   जो   था   मेरा एक दोस्त  शरारती  उसकी  माँ थी   उसे  रोज  ताड़ती  टीचर  भी  थी  जिसे  रोज़ मारती  एक दिन  ऐसी  बात हुई  उसके  घर   फ़ोन  की  घंटी  बजी  उसने  उठाया  जाकर फ़ोन  और  पूछा  "हांजी कौन" सामने  से  एक  अंकल  बोले  बेटा  डैडी  को  देना  फ़ोन  टिंकू  बोला "अंकल  डैडी  बिज़ी  हैं " अंकल  बोले "बेटा  मम्मी  को  ही  बुलालो" टिंकू  बोला "अंकल  मुझे  ही  बता  दो " अंकल  बोले "बेटा ! कोई  और  बड़ा  है ? टिंकू  बोला "एक  पुलिस  वाले  अंकल  हैं  पर  वह भी  थोड़े  दूर  खड़े  हैं " अब  अंकल  परेशान हो चुके  थे हार  कर  पूछे  "बेटा  तुम्हारे  घर  में  इतने  सब लोग हैं  फिर  भी  बात  क्यों  नहीं  कर  रहें  है?" टिंकू  ने  अब  धीमे  स्वर  में  बोला  "अंकल  वो  सब  मुझे ही  ढूंढ रहे   हैं " 😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊

HIND DI CHADDAR

हिन्द  दी  चादर सिख  पंथ  के  नवे  गुरु,  श्री  गुरु  तेग  बहादुर सारा  जगत  करता  जिनका  आदर हिंदु  धर्म  की  रक्षा  के  लिए दिया  बलिदान  चांदनी  चौंक  जाकर कश्मीरी  पंडितों  ने औरंगज़ेब  से जान  बचाकर  जब मांगी  सहायता आनंदपुर  साहेब  जाकर बोले  गुरूजी , "बचेगा  धर्म  तुम्हारा   किसी  महपुरुष  की  बलिदान पाकर ये  सब सुनकर  बाल  गोबिंद  बोले  मुस्कुराकर "आपसे  बड़ा  कौन  बली  है  ,इस  संसार  में  ठाकुर आप  ही  इनका  धर्म  बचाओ  ,शीश  अपना  चढ़ाकर " बेटे  की  बात  सुनकर  पिता  तेग  बहादुर  खुश हुए पर  परख  बेटे  की करने  हेतु , सवाल  पूछा    पास  बिठाकर जो  मै  चला  गया  तो  तु अनाथ  हो  जाएगा पिता  फिर  किसे  बुलाएगा बड़े  साहस  से  भरकर  बाल  गोविन्द  बोले घर    लाखों  के  बसाने  के  लिए मुझे  अनाथ  होना  भी  है  कुबुल  और  औरंगज़ेब  के  मंसूबो  को  करदो   चखना  चूर इस   तरह  एक  बेटे  ने  बचाया  हिंदु  धर्म पिता  अपना  गवाकर और  तेग बहादुर  कहलाए इस  तरह  " हिन्द  दी  चादर " सारे  उनको  नमन  करो ,अपना  शीश  झुकाकर

budapa

बुढ़ापा बुढ़ापा  होता  है  बड़ा  सयापा क्योंकि  इंसान  खोता  इसमें  आपा कम  ही  सोता  कम  ही  खाता लेकिन  बस  है  बोलता जाता चला  भी  इससे  कहाँ  है  जाता शारीरिक  बल  कम  हो  जाता दिन में सो कर, समय  बिताता रातों  को सबको फिरे  जगाता खुद  तो  कुछ हो  नहीं  पाता किसी  का  किया  भी  इसे  नहीं  भाता फिर  ये  है  उस  पर  है  चिल्लाता अब  वो  कहाँ  किसी  से  सुना  जाता चाहे  हो अपने  पिता  माता इससे  घर  है  टूट  जाता इसका  हल  यही  समझ  आता ज़िन्दगी में  करो  सभी  काम खाना  पीना  और आराम शरीर  का  ऐसा  रखो  ध्यान कि  बुढ़ापे  में  भी  रहो  जवान

ankhe

आँखे बहुत  खूबसूरत  शै  होती  हैं आँखे खामोशियों  में  भी  बोलती  हैं  आँखे दिलों  के  राज़  खोलती  हैं आँखे दिल  में  दर्द  हो तो ,रोती हैं  आँखे ख़ुशी  में  भी  पलकें  भिगोती  हैं   आँखे गुस्से  में   लाल  होती  हैं  आँखे प्यार  में  कमाल  करती  हैं  आँखे डर  में सिकुड़  जाती  हैं    ये  आँखे शरमाए  तो ,झुक  जाती  हैं   ये   आँखे प्यार  में  अक्सर  मचलती  हैं  आँखे दिल  की  ज़ुबान  बोलती   हैं  आँखे कोई  कुछ  भी  कहे सच  बोलती  हैं  आँखे लबों   के झूठ  की पोल  खोलती  हैं  आँखे आँखों  में शर्म इज़्ज़त  आँखों  में सूरत का पूरा  असर  आँखों में प्यार  की शुरुआत  भी  इन आँखों से प्यार  का इकरार भी इन आँखों से  इस  दुनिया के रंग  भी इन  आँखों से ज़िन्दगी  कटी  पतंग  ,बिन आँखों के 

Santosh ki khushi

संतोष  की  खुशी  आओ  तुम्हे  खुशी  से  मिलवाऊं  क्या  है  तुम्हारे  पास  दिखाऊ  देखो  अपनी  सुन्दर  काया  बताओ  किसने  तुम्हे  बनाया  पढ़ना  लिखना  तुम्हे  सिखाया  जीवन  में काबिल  बनाया  तंदरुस्त  मस्तिष्क  तुम्हे  दिया  एक बड़ा  उपकार  किया  रहने  को छत ,खाने  को  खाना  फिर  किस  बात से  घबराना  चलता  रहता  है  खोना  पाना  जो आया ,उसको  है  जाना  सीखो  सबसे  प्यार  निभाना  जहाँ सोच   मिल  जाए,दिल  भी  मिलाना  और  ना  मिले सोच   तो हाथ  मिलाना  प्यार  से हो सके ,तो  बात  बढ़ाना  वर्ना  बेहतर , चुप  हो जाना  कौन  अपना ,कौन  बेगाना  समय  का  चक्र  बड़ा  पुराना  जिसका  समय ,उसी  का  ज़माना  नहीं  तो  मिलता  है  बस  ताना  बातों  को  ना  दिल  से  लगाना  बस  आगे  आगे  बढ़ते  जाना 

waqt

वक़्त कौन  दुनिया  में सब  सीखकर  आता  है वक़्त  ही  सब  सिखाता  है स्कूल  तो  इम्तेहान  पास  कराता  है ज़िन्दगी  जीना  ,वक़्त सीखाता  है पहले माँ  जिसे  अक्षर  अक्षर  सिखाती  है वही  बड़ा  होकर  कड़वी  कड़वी  सुनाता  है वक़्त  सब कुछ  सिखाता  है एक लड़की  जो  माँ  की  लाडली  होती  है ससुराल  में  हर   काम का बोझ का  ढोती  है जिसकी  एक छींक  पर  जमा  होते  थे  डॉक्टर आज  उसके हाथो के  छाले  बिना  मलहम  ठीक होते है वक़्त सब कुछ सिखाता  है एक  बाप जिसकी  कल  सब थे सुनते  बूढ़ाह  गया , तो  सब  बहाने  हैं   बुनते   वक़्त  सब  कुछ  सिखाता  है वक़्त  ही  बिगाड़ता और बनाता  है वक़्त का मारा  कहाँ  बच पाता  है वक़्त से  डरना  ,मेरे  दोस्त बुरा  वक़्त  कभी  पूछकर  नहीं  आता  है 

Sikandar ki seekh

सिकंदर  की  सीख  सिकंदर  की  मौत  के  बाद   लोग  आज  भी  करते  हैं  उसे  याद  क्यूंकि  जाते जाते सिखा  गया  वो  ज़िन्दगी  का  सार   कुछ  भी  नहीं  जाएगा  इस  दुनिया  के पार   हकीमों  ने  उठाया  उसके  जनाज़े  का भार  सिखाया  दुनिया  को    हकीम  बस  कर  सकता  उपचार ईशवर  के  हाथ  में  जीवन  की तार  दुनिया  जीतने वाला  सिकंदर कुछ  नहीं  ले  जा सका  साथ यही  बताने  को  उसने लटकवाए   बाहर  अपने हाथ  कब्रिस्तान तक  का  रास्ता  हीरों  से  सजाया गया    समझाया  सारा  राज और   धन  ,यही  रह गया  धन दौलत  की बात   भी  छोड़  दो  इस  तन  तक  का  मोह  तोड़  दो  साथ  लेकर  आए   थे  जिसको  वो  भी  साथ  ना  जाएगा  दब  जाएगा , जल  जाएगा  तू  अकेला  जाएगा  

तसवीर

तसवीर तसवीर  को  तुम्हारी सीने   से  लगाए  रहते   हैं प्यार  बहुत  सारा  पलकों  में  छुपाए  बैठे  हैं कभी  हुआ  सामना  तो  बताएंगे  तुम्हे क्या  क्या   अरमान  दिल  में  दबाए  बैठे  हैं तसवीर  से  ही  तुम्हारी   बातें  किया  करते हैं उसी  से  झगड़ और  लिपट  लिया  करते  हैं तुम्हे  तो  हमारे   लिए  फुरसत  कहाँ  हम  तसवीर  से ही  रूठ  और  मान  जाया  करते  हैं यूँ  तो  तसवीर  की   तुम्हारी  मुझे जरुरत  नहीं  है किसी  को भूल जाना  मेरी  फितरत  नहीं  है तुम   तो  दिल  में  बसे  हो  इस  तरह तुम्हे  भूल  जाउँ  ये  मुनकिन  नहीं है गुज़ारिश  है  एक  तुमसे  सुनो  कान  लगा  के मत  आना  सामने   बिना  इत्तिलाह  के  ख़ुशी  से ना   मर  जाऊँ  कहीं  तुमको  पाके  

Mujhe kavi hi bnna tha

मुझे  कवि  ही बनना  था मुझे  कवि  ही  बनना  था मेरे  दिल  में   चुभे  एहसासो  को भी  तो  किसी  तरह  निकलना  था वर्ना  इसी  बोझ  तले ही  मुझे  मरना  था मुझे  कवि  बनना  था  शायद इसीलिए  कोई  और काम  न बनना  था मेरे  लाख  जतनो  को कही  न  कही  अटकना  था शुक्रगुज़ार  हूँ  उस  रब  की जिसने  मुझे  ये  हुनर  दिया विशवास  है उस  पर उसने  जो किया  सही किया उसने  मेरे  लिए  कुछ बड़ा ही  सोचा  है तभी  उसने  मुझे  आज तक  रोका  है एक दिन आएगा  मेरा  वक़्त,  जानती हूँ मैं उसको  परवाह है मेरी , मानती  हूँ  मैं देर  से  सुने  भले , मगर सुनता है वो हर  इक की किस्मत  में  खुशियाँ  लिखता  है  वो

कसरत और काम

एक  बार गुरु  नानक जी   और  मर्दाना  जी  ,संसार  के  उधार  के   संसार  भ्रमण  कर  रहे  थे  और  थकान  उतारने  के  लिए   पेड़  के  नीचे  बैठे  थे। इतने  में  एक राजा  पालकी  में  सवार   वहाँ  पहुँचा। उसकी  पालकी सेवकों  ने  कंधे  पर  उठाई  हुई  थी। वह  भी  कुछ ही  दूरी  पर विश्राम  करने  लगा। उसके  सेवक  उसके   पाँव  दबाने  लगे। इस  स्थिति  में  मर्दाना  जी  और  गुरु  नानक जी  के  बीच की   वार्तालाप  कुछ इस  तरह  हुई. इस  कविता  में शिष्य और  चेला  ,शब्द  मर्दाना  जी  के लिए  इस्तेमाल  किए  गए हैं और  प्रभु & गुरु। .. गुरू   नानक  देव  जी  के  लिए मर्दाना  जी  बोले ये  राजा  तो आराम से आया सेवकों   ने   इसका  बोझ उठाया अब भी ये आराम फर्मा  रहा सेवकों  से  पाँव  दबवा रहा प्रभु  मुस्कुराए  और समझाया राजा  सबसे  काम करवाता खुद  है  बैठे-बैठे   खाता  उसका  खाना  पच  ना  पाता शरीरिक  बल कम हो   जाता  है तो  शरीर  जल्दी  थकान  मनाता  है सेवक  लोगों  की  काम  में कसरत  ज्यादा होती है भोजन  ज्यादा  पचता  उनको थकान  नहीं  फिर  होती  है गुरु जी  की बात  को सुनकर  चेला   ख़ुश

Sambandh

संबंध कुछ बन  जाते हैं कुछ बनाए  जाते  है कहने  को  तो रिश्ते  बहुत     दिखाए  जाते  हैं मगर  असली  वो  होते है जो  निभाए   जाते  हैं असल बात  तो है दिलों  में  फासलों   की अगर  फासला ना   हो दिलों  में तो  मिलों  की  दूरियों  में  भी दिल  पास  होता हैं उनके  साथ  होने  का एहसास  होता  है और  दिलों  में   फासले   हो तो एक  कमरे  में  रहते  लोग भी  अनजान  लगते   हैं कई  बार  अपने वो  दर्द  देते  हैं जो  लाइलाज  होता   है आज  के  समय  में तो  अपनों  से  झगड़ा  और बेगानों  से  प्यार  होता  है

bekaar

  बेकार दोस्त कहते  हैं  होशियार  हूँ   मैं फिर  भी  ना  जाने  क्यों  बेकार  हूँ  मैं क्यों  मुझसे  पीछे  वाले  आगे  बढ़  गए क्यों  मेरे  कदम  जैसे  ज़मीन में   गढ़  गए आज  यूँ  लगता  है  जैसे खुद  को  पहचान  ना  सकी दुनिया  को  सुना  बस खुद को  ना  जान  सकी जहाँ  कामयाबी  मुझे  मिली  नहीं वो  जगह  शायद  मेरी  थी  ही  नहीं आज  नहीं  कुछ मिला  ,तो  कल  मिलेगा मेरी  कामयाबी  का  पौधा   जरूर  लगेगा उस पर   पैसे  का  फूल  भी खिलेगा और   खुशियों   का  फल  भी  मिलेगा वक़्त  से   पहले  ,किस्मत  से  ज्यादा कभी  किसी  को  मिला  नहीं इसीलिए  मुझे  अपने  मालिक से  कोई  गिला  नहीं

Bachpan ka pyaar

बचपन  का प्यार ये  उन  दिनों  की  बात  है जब  हम  स्कूल  जाया  करते  थे खूब सोया  करते थे खूब  खाया  करते  थे था  एक  लड़का बिल्ली  आँखों  वाला बड़ा  रौबीला , बड़ा  निराला हँसने  और  हँसाने  वाला रोज़  देर  से  आने  वाला मैं  थी  पढ़ने  में  लायक वो  था  बड़ा  सुरीला  गायक मैं  जितनी थी  शांत वो  उतना  ही  चंचल  उसे  आते  देख  धड़कने  बढ़  जाती  थी घबराहट  के मारे  आंखे  झुक जाती थी उसके  गीतों  के  बोलों  में  अपनी  छवि  दिखती थी मैं  दिन  रात  उसके  साथ  के सपने  बुनती  थी मेरा  दिल   शोर  तोह बहुत करता  था मगर  जग हसाई  से  डरता  था बाप  की  पगड़ी  का  ख्याल  आता था जीवन  में  मुझे  भी  आगे  जाना था यही  सोचकर  मेरी  दिल की  आवाज़  खामोश रह गई और  दिल  की बात  दिल ही में रह गई कभी  लगता  वो  सब जानता और समझता  था फिर  लगता मेरा ही दिल  कहानिया  गढ़ता  था

Sapna

सपना कल  रात   देखा  एक  सपना सपने  में मिला कोई अपना था  एक  सूंदर   नौजवान जैसे  हो कही  का डॉन यू  तो  मेरी  मुलाकात  थी  पहली पर  बड़ी  गहरी  थी  उससे  पहचान थोड़ा पगला था,थोड़ा शैतान  भी थोड़ा  नटखट था, थोड़ा नादान भी पहले  घुर -घुर  कर  मुझे   सताया फिर  मुँह बनाकर  मुझे   चिढ़ाया जब   मुझे  रोना  आया फिर  वो  घबराया  भागा  भागा  आया हँसा  हँसा  कर  मुझे  मनाया और  माफ़ी  मांगते कानो को हाथ लगाया अचानक   उसको  सूझी  शरारत उसने  पकड़ा  मेरा  हाथ डरकर  खुल गई  मेरी आँख  

PUSTAK BECHNE VALI

 पुस्तक  बेचने वाली मेरे  घर  की  घंटी  बजी बाहर  निकली  तो मिली  एक लड़की  सजी धजी वो  बोली  मुझसे  दीदी  बात सुनो मेरी देखो ये  पुस्तक  ,लोंच  की  कम्पनी   ने  मेरी उसने  पुस्तक की तारीफ में कुछ  पंक्तिया जड़ी और अपनी बिल बुक  मेरी  हथेली  पे धरी बोली  बहुत लोगो ने इससे खरीदने को  हाँ  करी अब ये आखरी पुस्तक  ही मेरे पास पड़ी इसको  खरीदलो  आज सस्ती है बड़ी मै  दाम लगा  रही  बाजार से आधा आज ना  खरीदी ,तो मेहेंगी पड़ेगी  बहुत ज्यादा ये  दाम  सिर्फ  आज  के लिए है बहुत अच्छी  ये  ज्ञान  के लिए  है मैंने कहा मेरा  अभी पुस्तक खरीदने का विचार नहीं है तुमसे  पहले भी दस  लोग आए  थे  ये कोई पहली  बार  नहीं है 😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊

DO DHARI TALWAR

दो  धारी  तलवार ये  ज़िन्दगी  जाने  मुझसे  क्या  चाहती  है जो भी करलूँ , कुछ और ही मांगती  है नौकरी करू..... तो  घर  संभालना  पहले आना  चाहिए घर  पे रहलो। ...... नौकरी   पर  जाना  चाहिए किसी की उलटी  बात पे जवाब देदो.... तो बात  करने की तमीज़  नहीं है किसी  की  बात का जवाब  नहीं दिया। .... तो तेहज़ीब  नहीं  है  अगर   कुछ बोल दिया....  तो   ज्यादा नहीं   बोलना   चाहिए चुप रहे  .... तो  इतने गंभीर  भी  नहीं होना चाहिए घर  में रहो। ...  बाहर  निकलते  ही  नहीं दुनियादारी  कैसे  समझोगे ?  बाहर  निकलने  लगो  तो घर  को  कौन  संभालेगा ? ये  दुनिया   है  तलवार दो  धारी इसको  सुना  तो  ख़ुशी  जाएगी  मारी अगर  खुश रहना  तो खुद  की सुनो दुनिया  को  ठोकर  मारो और  खुलके  जियो 

Ummeed

उम्मीद मत  रखो  उम्मीद  मुझसे  इतनी मैं  भी  एक  इंसान हूँ मासूम  सा  दिल  है  मेरा मै  कोमल  सी  जान हूँ जानती  हूँ  मैं  लड़की  हूँ दो  परिवारों  की   कड़ी  हूँ  मैं बहुत  सारे  जतन  करके  मजबूती से  खड़ी  हूँ मैं खाना  भी  पकाना  है मुझको दफ्तर  भी  जाना  है खुद  भी  सवरना  है अपने  घर  को  भी  सवराना  है माता  पिता  की सेवा भी  करनी है अपना  भविष्य  भी  सवारना  है माना  किया  औरों  ने बहुत कुछ मैने कब  इंकार किया सब  कुछ  करने का जतन मैंने भी  कई बार किया लेकिन  कोशिशें   नाकाम  होने  पर तुमने मेरा तिरस्कार  किया बार  बार  अपनी हार से मैं  भी  परेशान  हुई ऊपर  से जग  की    बातों  से बिलकुल ही  बेजान हुई फिर  भी  हिम्मत  करके  मैंने नई  कोशिश   हर  बार  करी