school ke din

स्कूल के  दिन
सुबह माँ  की आवाज़  का  वो अलार्म
वो पाँच मिनट  औऱ  वाला  आराम
वो बाथरूम के बाहर  से माँ  का  चिल्लाना
"जल्दी  निकल "स्कूल  है जाना
फिर  कभी गरम कभी ठंडा  दूध गटकाना
वो भारी  भारी  बैग  उठाना
सब का  था  कोई  न  कोई  दिवाना

वो था बड़ा  शरीफ़  जमाना
वो  छुप  छुप  कर  देखना  और  कभी  नज़र  चुराना
वो दोस्तों  का   उलटे सीधे   नामों  से  सताना
कभी  ये तेरी वाली  ,वो मेरी वाली  बातों  से गुदगुदाना
वो सबसे  पहले स्कूल  पहुंचकर
 होमवर्क  देखना  और  दिखाना
वो पहले  बैंच  पर  बैठने  के  लिए
  दोस्त से  टकराना
वो रिसेस   में  दोस्तों  के  साथ  बैठकर  खाया  खाना
वो स्कूल  की शरारते और  टीचर्स  का  मुर्गा  बनाना
वो  दोस्तों  का  सताना  ,फिर  घंटो  मनाना
वो  कटी अब्बा  वाला  ज़माना
वो  स्कूल की  गर्मी  की छुटियो का  मज़ा  सुहाना
काश ,लौट  आए  वो  समय  पुराना 

नोट : इस  कविता  में  अंग्रेजी  के  कुछ  शब्द  जान  बुझ  लिए  हैं ,ताकि  पढ़ने  वाले  कविता  का  सरल  भाषा  में  पूरा  मज़ा  ले  सके 

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