ghar
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घर
ईंटो और दीवारों से मकान बनते हैं
प्यार और दुलार से घर बनते हैं
मज़दूर तो मकान बनाते है
घर को परिवार बनाते है
जिन परिवारो में प्यार और इत्तेफ़ाक़ होता है
वो घर ही तो स्वर्ग कहलाते हैं
वही घर उन घरवालों के आशियाने कहलाते है
जहाँ परिवारों में ईर्ष्या और द्वेष हो
जहाँ लोग एक दूसरे की ही जड़ो को कुतरते हैं
वो घर नहीं लड़ाई के मैदान बन जाते हैं
जिन घरों में माता पिता ईश्वर माने जाते हो
वो घर ही मंदिर बन जाते हैं
ये तन भी एक मकान ही तो है
आत्मा जिसमें रहती है
परन्तु घर तो उसका वो परमात्मा है
जिसमें जा कर वह लीन होती है
Hmmm great
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