manzil
मंज़िल
बहुत भटकी मै
इसकी तलाश में
खाई बहुत चोट्टे इसकी आस में
हर बार लगा ,बस पहुँच गई
लेकिन फिर हाथ से फिसल गई
कई बार दरवाज़े पे दस्तक दी
मगर फिर ना जाने कहाँ खो गई
मै तो बस ताकते ही रह गई
लोग कहते थे
हुनर होता है सब में
कोई बेहुनर नहीं इस पूरे जग में
मुझे खुद में कुछ भी दिखता नहीं था
बहुत ढूंढ़ने पे भी मिलता नहीं था
बहुत उदास सी मैं रहने लगी
थी मै ये सबसे कहने लगी
मंज़िल नहीं लगता कोई नसीब में
जाने क्या लिखा इस तक़दीर में
हिम्मत ने मेरी फिर संभाला मुझे
फिर नए राह पे डाला मुझे
थमाया मुझे कागज़ कलम
लिख डाले उसमें सारे ही गम
एक एक कर पनने भरने लगे
मेरे दिल के अरमा फिर जगने लगे
लोग भी धीरे धीरे पढ़ने लगे
जीत के ढोल जैसे बजने लगे
लगा रहम आया मुझ पर मेरे खुदा को
जैसे कहा उसने दिखा दो इस जहाँ को
तू अकेली नहीं ,मैं हूँ साथ तेरे
करूँगा ख़वाब सभी तेरे पूरे
बहुत भटकी मै
इसकी तलाश में
खाई बहुत चोट्टे इसकी आस में
हर बार लगा ,बस पहुँच गई
लेकिन फिर हाथ से फिसल गई
कई बार दरवाज़े पे दस्तक दी
मगर फिर ना जाने कहाँ खो गई
मै तो बस ताकते ही रह गई
लोग कहते थे
हुनर होता है सब में
कोई बेहुनर नहीं इस पूरे जग में
मुझे खुद में कुछ भी दिखता नहीं था
बहुत ढूंढ़ने पे भी मिलता नहीं था
बहुत उदास सी मैं रहने लगी
थी मै ये सबसे कहने लगी
मंज़िल नहीं लगता कोई नसीब में
जाने क्या लिखा इस तक़दीर में
हिम्मत ने मेरी फिर संभाला मुझे
फिर नए राह पे डाला मुझे
थमाया मुझे कागज़ कलम
लिख डाले उसमें सारे ही गम
एक एक कर पनने भरने लगे
मेरे दिल के अरमा फिर जगने लगे
लोग भी धीरे धीरे पढ़ने लगे
जीत के ढोल जैसे बजने लगे
लगा रहम आया मुझ पर मेरे खुदा को
जैसे कहा उसने दिखा दो इस जहाँ को
तू अकेली नहीं ,मैं हूँ साथ तेरे
करूँगा ख़वाब सभी तेरे पूरे
True lines
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