tanhai

तनहाई

तनहाई  में ही  तुम ,खुद  को जानते  हो
वर्ना  लोगों  की   राय  को सच मानते  हो
खुद को जानने  के लिए  तनहाई  जरुरी  है
जैसे  प्यार  में लड़ाई  जरुरी  है

लोग डरते  है ,तनहा   रहने  से
जैसे  डरते  हो ,खुद ही खुद को मिलने  से
ये दुनिया  कब किसी  की  हो पाई  है
असली  साथी  तो  तनहाई  है

जिन्होने  ने  तनहाई  में  खुद  को पहचाना   है
उन्हें  ही  बाद  में इस  जग ने माना  है
उस  अल्ला  और  रब  को  कहाँ  जानते  हो
मंदिर  मस्जिद में  जिसे  छानते  हो
मंदिर  मस्जिद  तो  सिर्फ उसे  याद  करने  के दर  है
असल  में  तो  तेरा  दिल  ही  उसका  घर  है
झांकोगे  तुम  जब  अपने  दिल में
पाओगे  मक्का  मदीना  इसी दिल में
 दिल  में झाँकने  के लिए   एकांत  जरुरी  है
सबसे  पहले  मन  शांत  जरुरी  है
मन  की  शांति  नहीं  मिलती जग  की  भीड़  में
भगवान  मिलता   है ,शांत मन से
तनहाई की तसवीर में

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