Kya yahi pyaar hai
क्या यही प्यार है
क्यों तन को ताड़ते रहते हो
मन से तुम्हे मतलब ही नहीं
प्यार तो मन से होता है
कभी सच्चा है कभी झूठा है
तन का पाना प्यार नहीं
प्यार दिलों का मेल है
जो दिल को तुम मिला ना सको
तो प्यार तुम्हारा फेल है
आज तुम जो ललचाते हो
कल तुम ही भागोगे
तन का सुख खत्म होते ही
कही और नज़र तुम डालोगे
मन जब कही लग जाएगा
दिल वही टिक जाएगा
वो कुछ खास बनजाएगा
उसका सामने होना ही
तुम्हे खुशी दे जाएगा
उसकी आँख का आँसू भी
तुम्हारी आँख में आएगा
उसकी खुशी पाने को
तुम सब कुछ ठुकराओगे
उसके बिना तुम जीवन में
खुद को अकेला पाओगे
ऐसे मिलन का बंधन ही
तो ,एक पवित्र बंधन होगा
इस मिलन से बना वो
घर , स्वर्ग से भी सुन्दर होगा
क्यों तन को ताड़ते रहते हो
मन से तुम्हे मतलब ही नहीं
प्यार तो मन से होता है
कभी सच्चा है कभी झूठा है
तन का पाना प्यार नहीं
प्यार दिलों का मेल है
जो दिल को तुम मिला ना सको
तो प्यार तुम्हारा फेल है
आज तुम जो ललचाते हो
कल तुम ही भागोगे
तन का सुख खत्म होते ही
कही और नज़र तुम डालोगे
मन जब कही लग जाएगा
दिल वही टिक जाएगा
वो कुछ खास बनजाएगा
उसका सामने होना ही
तुम्हे खुशी दे जाएगा
उसकी आँख का आँसू भी
तुम्हारी आँख में आएगा
उसकी खुशी पाने को
तुम सब कुछ ठुकराओगे
उसके बिना तुम जीवन में
खुद को अकेला पाओगे
ऐसे मिलन का बंधन ही
तो ,एक पवित्र बंधन होगा
इस मिलन से बना वो
घर , स्वर्ग से भी सुन्दर होगा
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