Bachpan ka pyaar

बचपन  का प्यार
ये  उन  दिनों  की  बात  है
जब  हम  स्कूल  जाया  करते  थे
खूब सोया  करते थे
खूब  खाया  करते  थे

था  एक  लड़का
बिल्ली  आँखों  वाला
बड़ा  रौबीला , बड़ा  निराला
हँसने  और  हँसाने  वाला
रोज़  देर  से  आने  वाला

मैं  थी  पढ़ने  में  लायक
वो  था  बड़ा  सुरीला  गायक
मैं  जितनी थी  शांत
वो  उतना  ही  चंचल 


उसे  आते  देख  धड़कने  बढ़  जाती  थी
घबराहट  के मारे  आंखे  झुक जाती थी
उसके  गीतों  के  बोलों  में  अपनी  छवि  दिखती थी
मैं  दिन  रात  उसके  साथ  के सपने  बुनती  थी
मेरा  दिल   शोर  तोह बहुत करता  था
मगर  जग हसाई  से  डरता  था
बाप  की  पगड़ी  का  ख्याल  आता था
जीवन  में  मुझे  भी  आगे  जाना था
यही  सोचकर  मेरी  दिल की  आवाज़  खामोश रह गई
और  दिल  की बात  दिल ही में रह गई
कभी  लगता  वो  सब जानता और समझता  था
फिर  लगता मेरा ही दिल  कहानिया  गढ़ता  था

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