bekaar
बेकार
दोस्त कहते हैं होशियार हूँ मैं
फिर भी ना जाने क्यों बेकार हूँ मैं
क्यों मुझसे पीछे वाले आगे बढ़ गए
क्यों मेरे कदम जैसे ज़मीन में गढ़ गए
आज यूँ लगता है जैसे
खुद को पहचान ना सकी
दुनिया को सुना बस
खुद को ना जान सकी
जहाँ कामयाबी मुझे मिली नहीं
वो जगह शायद मेरी थी ही नहीं
आज नहीं कुछ मिला ,तो कल मिलेगा
मेरी कामयाबी का पौधा जरूर लगेगा
उस पर पैसे का फूल भी खिलेगा
और खुशियों का फल भी मिलेगा
वक़्त से पहले ,किस्मत से ज्यादा
कभी किसी को मिला नहीं
इसीलिए मुझे अपने मालिक
से कोई गिला नहीं
दोस्त कहते हैं होशियार हूँ मैं
फिर भी ना जाने क्यों बेकार हूँ मैं
क्यों मुझसे पीछे वाले आगे बढ़ गए
क्यों मेरे कदम जैसे ज़मीन में गढ़ गए
आज यूँ लगता है जैसे
खुद को पहचान ना सकी
दुनिया को सुना बस
खुद को ना जान सकी
जहाँ कामयाबी मुझे मिली नहीं
वो जगह शायद मेरी थी ही नहीं
आज नहीं कुछ मिला ,तो कल मिलेगा
मेरी कामयाबी का पौधा जरूर लगेगा
उस पर पैसे का फूल भी खिलेगा
और खुशियों का फल भी मिलेगा
वक़्त से पहले ,किस्मत से ज्यादा
कभी किसी को मिला नहीं
इसीलिए मुझे अपने मालिक
से कोई गिला नहीं
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