Santosh ki khushi
संतोष की खुशी
आओ तुम्हे खुशी से मिलवाऊंक्या है तुम्हारे पास दिखाऊ
देखो अपनी सुन्दर काया
बताओ किसने तुम्हे बनाया
पढ़ना लिखना तुम्हे सिखाया
जीवन में काबिल बनाया
तंदरुस्त मस्तिष्क तुम्हे दिया
एक बड़ा उपकार किया
रहने को छत ,खाने को खाना
फिर किस बात से घबराना
चलता रहता है खोना पाना
जो आया ,उसको है जाना
सीखो सबसे प्यार निभाना
जहाँ सोच मिल जाए,दिल भी मिलाना
और ना मिले सोच तो हाथ मिलाना
प्यार से हो सके ,तो बात बढ़ाना
वर्ना बेहतर , चुप हो जाना
कौन अपना ,कौन बेगाना
समय का चक्र बड़ा पुराना
जिसका समय ,उसी का ज़माना
नहीं तो मिलता है बस ताना
बातों को ना दिल से लगाना
बस आगे आगे बढ़ते जाना
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