Sapna

सपना
कल  रात   देखा  एक  सपना
सपने  में मिला कोई अपना
था  एक  सूंदर   नौजवान
जैसे  हो कही  का डॉन

यू  तो  मेरी  मुलाकात  थी  पहली
पर  बड़ी  गहरी  थी  उससे  पहचान
थोड़ा पगला था,थोड़ा शैतान  भी
थोड़ा  नटखट था, थोड़ा नादान भी

पहले  घुर -घुर  कर  मुझे   सताया
फिर  मुँह बनाकर  मुझे   चिढ़ाया
जब   मुझे  रोना  आया
फिर  वो  घबराया
 भागा  भागा  आया
हँसा  हँसा  कर  मुझे  मनाया
और  माफ़ी  मांगते कानो को हाथ लगाया

अचानक   उसको  सूझी  शरारत
उसने  पकड़ा  मेरा  हाथ
डरकर  खुल गई  मेरी आँख  

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