shama (क्षमा )

क्षमा

करके  क्षमा  अपने  दुश्मनों को
ले  तू  अपना  दोस्त  बना
बहुत  बोझ  है  इस  दिल  पर
थोड़ा  सा  तो   हटा
ये  दुश्मन भी , अपने  ही  तो  हैं
कुछ खट्टे  कड़वे  पल  ही  तो  है
इन  कड़वे  पलों  को  भूलकर
प्यार  की  नई  तस्वीर  बना

ठान  मत , ना  भूलने  की
मत आदत बना ,मुँह  के  फूलने  की
ज़रा  हाथ  को  आगे  बढ़ा
और  थोड़ा  सा  मुस्कुरा

चोट  जिसने  दी  तुझे
  वो कब का  आगे  बढ़   गया
और  तू  था  कि  वही  पर  खड़  गया
उसका  कुछ  ना  उखड़ा  पर
तेरा   मन  सड़  गया
सोच  किसको  दी  तूने  सज़ा
और  किस  पे  सितम  पड़  गया
जो  एक क्षमा  को  दिल  पे  अपने  जड़  गया
समझलो  आत्मिक   सीढ़ी  चढ़  गया

मिटी  का  पुतला  है तु
इस  जग  में  घूमने  आया  है
जब  जीवन नहीं सदा के लिए
फिर  इन  गलतियों  को क्यों  बसाया  सदा के लिए

Comments

Popular posts from this blog

beti ka dard

bhul ja

Meri dosti