SHRARTI DOST (HASYA KAVITA)
शरारती दोस्त ( हास्य कविता )
बात सुनाऊ तुम्हे टिंकू की
जो था मेरा एक दोस्त शरारती
उसकी माँ थी उसे रोज ताड़ती
टीचर भी थी जिसे रोज़ मारती
एक दिन ऐसी बात हुई
उसके घर फ़ोन की घंटी बजी
उसने उठाया जाकर फ़ोन
और पूछा "हांजी कौन"
सामने से एक अंकल बोले
बेटा डैडी को देना फ़ोन
टिंकू बोला "अंकल डैडी बिज़ी हैं "
अंकल बोले "बेटा मम्मी को ही बुलालो"
टिंकू बोला "अंकल मुझे ही बता दो "
अंकल बोले "बेटा ! कोई और बड़ा है ?
टिंकू बोला "एक पुलिस वाले अंकल हैं
पर वह भी थोड़े दूर खड़े हैं "
अब अंकल परेशान हो चुके थे हार कर पूछे
"बेटा तुम्हारे घर में इतने सब लोग हैं
फिर भी बात क्यों नहीं कर रहें है?"
टिंकू ने अब धीमे स्वर में बोला
"अंकल वो सब मुझे ही ढूंढ रहे हैं "
😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊
बात सुनाऊ तुम्हे टिंकू की
जो था मेरा एक दोस्त शरारती
उसकी माँ थी उसे रोज ताड़ती
टीचर भी थी जिसे रोज़ मारती
एक दिन ऐसी बात हुई
उसके घर फ़ोन की घंटी बजी
उसने उठाया जाकर फ़ोन
और पूछा "हांजी कौन"
सामने से एक अंकल बोले
बेटा डैडी को देना फ़ोन
टिंकू बोला "अंकल डैडी बिज़ी हैं "
अंकल बोले "बेटा मम्मी को ही बुलालो"
टिंकू बोला "अंकल मुझे ही बता दो "
अंकल बोले "बेटा ! कोई और बड़ा है ?
टिंकू बोला "एक पुलिस वाले अंकल हैं
पर वह भी थोड़े दूर खड़े हैं "
अब अंकल परेशान हो चुके थे हार कर पूछे
"बेटा तुम्हारे घर में इतने सब लोग हैं
फिर भी बात क्यों नहीं कर रहें है?"
टिंकू ने अब धीमे स्वर में बोला
"अंकल वो सब मुझे ही ढूंढ रहे हैं "
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