Ummeed

उम्मीद
मत  रखो  उम्मीद  मुझसे  इतनी
मैं  भी  एक  इंसान हूँ
मासूम  सा  दिल  है  मेरा
मै  कोमल  सी  जान हूँ

जानती  हूँ  मैं  लड़की  हूँ
दो  परिवारों  की   कड़ी  हूँ  मैं
बहुत  सारे  जतन  करके  मजबूती से  खड़ी  हूँ मैं

खाना  भी  पकाना  है मुझको
दफ्तर  भी  जाना  है
खुद  भी  सवरना  है
अपने  घर  को  भी  सवराना  है
माता  पिता  की सेवा भी  करनी है
अपना  भविष्य  भी  सवारना  है

माना  किया  औरों  ने बहुत कुछ
मैने कब  इंकार किया
सब  कुछ  करने का जतन
मैंने भी  कई बार किया
लेकिन  कोशिशें   नाकाम  होने  पर
तुमने मेरा तिरस्कार  किया

बार  बार  अपनी हार से मैं  भी  परेशान  हुई
ऊपर  से जग  की    बातों  से
बिलकुल ही  बेजान हुई
फिर  भी  हिम्मत  करके  मैंने
नई  कोशिश   हर  बार  करी




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