Mai Zimmedar hu

मै ज़िम्मेदार हूँ
आंसू अपने दिखाकर  ,चैन  उनका  खो  नहीं  सकता
मै ज़िम्मेदार हूँ  , मै  रो  नहीं  सकता
अपनी ख़ुशी के लालच में ,दुख  किसी को दे नहीं  सकता
ज़िम्मेदार हूँ,   मै  रो  भी  नहीं  सकता

मैंने  ज़िम्मेदारी  ली  है जिनकी ,
उनको  यूँ  मैं  खो नहीं सकता
मैं  ज़िम्मेदार  हूँ , मैं सो  नहीं सकता
ज़ि
म्मेदार होना ,जी का जाल है
हर  कोई  कष्ट   में  तुम्हे ,देता  डाल  है
ज़िन्दगी तो जीता  है  वो, जो बेख़याल  है
पर  आदत  से मजबुर  मैं ,बेपरवाह  हो नहीं सकता
इसीलिए  खुश हो नहीं  सकता

किसी  को  कुछ  कह भी  दूँ
तब भी दिल  मेरा  करहाता  है
बात मेरी सही है
फिर भी  किसी  को चुभ जाती  है
फिर  वो अपनी दलीलों  से
दिल मेरा दुखाता  है
मुझको गलत और खुद को सही बताता है

जज़्बातो  की इस  उथल  पुथल में
मै  तो चैन से सो  नहीं सकता
क्या करू  मैं  तो  रो भी नहीं  सकता 

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