bhul ja
ए दिल भूल जा उसे , जो तुझे भूल गया जाने छोड़ा हाथ उसने , या छूट गया दुख इस बात का था , वो आगे बढ़ गया जाने थी क्या मजबूरी , क्यों चूनी उसने दूरी जाने कौनसी कमी थी जो हो ना सकी पूरी पर सच अब यही है , कि वो अब नहीं है टूटा हुआ काँच कभी , जोड़ा नहीं जाता सचाई से मुँह यूँ मोड़ा नहीं जाता अगर वो होता मेरा तो छोड़ कर क्यों जाता जीवन का सच तो यही है ज़िन्दगी की रेल गाड़ी में कई मुसाफिर मिलते है रास्ता एक होने पर वो साथ हमारे चलते है मंज़िल अपनी आने पर अलविदा कह निकलते हैं