कसरत और काम

एक  बार गुरु  नानक जी   और  मर्दाना  जी  ,संसार  के  उधार  के   संसार  भ्रमण  कर  रहे  थे  और  थकान  उतारने  के  लिए   पेड़  के  नीचे  बैठे  थे। इतने  में  एक राजा  पालकी  में  सवार   वहाँ  पहुँचा। उसकी  पालकी
सेवकों  ने  कंधे  पर  उठाई  हुई  थी। वह  भी  कुछ ही  दूरी  पर विश्राम  करने  लगा। उसके  सेवक  उसके   पाँव  दबाने  लगे। इस  स्थिति  में  मर्दाना  जी  और  गुरु  नानक जी  के  बीच की   वार्तालाप  कुछ इस  तरह  हुई. इस  कविता  में शिष्य और  चेला  ,शब्द  मर्दाना  जी  के लिए  इस्तेमाल  किए  गए हैं और  प्रभु & गुरु। .. गुरू   नानक  देव  जी  के  लिए

मर्दाना  जी  बोले
ये  राजा  तो आराम से आया
सेवकों   ने   इसका  बोझ उठाया
अब भी ये आराम फर्मा  रहा
सेवकों  से  पाँव  दबवा रहा

प्रभु  मुस्कुराए  और समझाया
राजा  सबसे  काम करवाता
खुद  है  बैठे-बैठे   खाता 
उसका  खाना  पच  ना  पाता
शरीरिक  बल कम हो   जाता  है
तो  शरीर  जल्दी  थकान  मनाता  है
सेवक  लोगों  की  काम  में
कसरत  ज्यादा होती है
भोजन  ज्यादा  पचता  उनको
थकान  नहीं  फिर  होती  है

गुरु जी  की बात  को सुनकर  चेला   ख़ुशी से झूम उठा
मेरा  जीवन  हुआ  धन्य ,शिष्य   ख़ुशी  से बोल उठा


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