hmara pta
हमारा पता वो हमसे हमारा पता पूछते थे हम उनसे अपनी खता पूछते थे हमे पता बताने में जो देरी हुई उन्होने खता बताना जरुरी ना समझा हमने उनसे कुछ भी छुपाया नहीं था दिल में कोई राज़ दबाया नहीं था अपना दिल खोलकर उनको दिखाया उन्हें जब जाना ,तो खुद सा ही पाया मेरे दिल ने भी एक सपना सजाया शायद खुदा ने उसे ,मेरे लिए बनाया मगर ख्वाब ये बन गया झूठा कुछ ही रोज़ में ये,काँच जैसा टूटा उसे मेरा शहर लगने लगा छोटा उसको कमाना था पैसा भी मोटा थोड़ी मुश्किल हुई ,मगर अपने दिल को संभाला लगा कुछ इससे अच्छा है ह...