tanhai
तनहाई तनहाई में ही तुम ,खुद को जानते हो वर्ना लोगों की राय को सच मानते हो खुद को जानने के लिए तनहाई जरुरी है जैसे प्यार में लड़ाई जरुरी है लोग डरते है ,तनहा रहने से जैसे डरते हो ,खुद ही खुद को मिलने से ये दुनिया कब किसी की हो पाई है असली साथी तो तनहाई है जिन्होने ने तनहाई में खुद को पहचाना है उन्हें ही बाद में इस जग ने माना है उस अल्ला और रब को कहाँ जानते हो मंदिर मस्जिद में जिसे छानते हो मंदिर मस्जिद तो सिर्फ उसे याद करने के दर है असल में तो तेरा दिल ही उसका घर है झांकोगे तुम जब अपने दिल में पाओगे मक्का मदीना...